सन्तोष शाह
शिक्षा विभाग व प्राइबेट विद्यालयो की मनमानी के कारण शुल्क के नाम पर अभिभावकों की हो रही जेब ढीली
योगी सरकार का आदेश उनके ही कर्मचारी नही कर रहे अनुपालन
देवरिया प्रशासन जिस प्रकार अपने कार्यो के प्रति निर्बलता दिखा रहा है इससे सरकार व न्यायालय के आदेशों का पालन कराने में अपने आप को सक्षम नही पा रहा और न ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नियमो व आदेशो पर गंभीरता दिखा पा रहा है इन्ही लचर कार्यशैलियो के कारण उत्तर प्रदेश अन्य प्रदेशो से पिछड़ता ही जा रहा है आज जिस प्रकार से शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है ये प्रदेश के लिए ही नही देश के लिये भी घातक बन सकता है । पाठशालाओ में शिक्षा कम धन वसूली का खेल अधिक खेला जा रहा है। जनपद के सभी क्षेत्रों व नगरो के सकरी गलियो में बिना मान्यता के पाठशालाओ का संचालन बिना भय के चल रहा हैं। जनपद के अधिकांश विद्यालय किसी मंत्री या विधायक,पूर्व विधायक के है या किसी सेठ धनवान के जिस कारण प्रशासन के मिली भगत से कोई कार्यवाही नही होती है। इसीलिये पाठशालाओ में नियम व कानून का भय समाप्त हो चुका है जिस कारण अभिभावको को प्रतिमाह भारी शुल्क जमा करते रहना होता है । जो अभिभवकों के लिये आर्थिक व मानसिक पीड़ा का कारण है यूँ तो योगी जी ने प्रदेश के समस्त निजी पाठशालाओ पर सख्त आदेश दिये है कि किसी भी बोर्ड से सम्बंधित प्रवेश शुल्क, भवन शुल्क एंव अतिरिक्त शुल्क इत्यादि की अपनी एक सीमा रेखा होनी चाहिये यदि कोई निजी पाठशाला नियमो के विपरीत जा कर अत्यधिक शुल्क लेता है तो ऐसे पाठशालाओ पर प्रशासन तत्काल कार्यवाही कर निरस्त करने का अधिकार रखता है परंन्तु देवरिया जनपद के अधिकारियों को रिश्वत खोरी का ऐसा मोह लग चुका है जो निजी पाठशालाओ के संचालकों से किसी भी प्रकार के नियम व आदेशो का पालन करवाना उचित नही लगता ।
सूत्रों की माने तो जनपद क्षेत्रो व नगर के चर्चित पाठशालायें ऐसे है जो स्वयं के ही अनुसार शुल्क लेते आ रहे है। अभी इनके ऊपर सरकार का कोई भी निर्देश लागू नही हुआ शिक्षा विभाग पूरी तरह नामी गिरामी विद्यालयों के आगे नतमस्तक नजर आ रहा है । जब कि नगर में ही जहा सभी अधिकारी विराजमान है वही पर बिना मान्यताओं के विद्यालयों की भरमार है तथा मान्यता प्राप्त विद्यालय मनमानी फ़ीस के नाम पर तरह तरह के शुल्क अभिभावकों से ले रहे है।और कापी किताब से लेकर ड्रेस तक के लिए उन दुकानदारो से चुना गया है जहा से विद्यालयो और विभाग को कमीशन मिलता है ।शिक्षा विभाग पूरी तरह से सरकार के आदेश निर्देश का पालन करना मुनासिब नही समझ रहा ।


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