-"होके मायूस तेरे से सवाली न गया,झोलियां भर गयी कोई खाली न गया" ये पंक्तियां सटीक बैठती है सुन्दरनाथ बाबा मंदिर पर । दूसरी काशी के नाम से विख्यात रुद्रपुर नगरी बाबा दुधेश्वर नाथ के क्षेत्र अमौनी गांव में पौराणिक शिवलिंग उपेक्षा का शिकार है। एक तरफ शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव के दूर से दर्शन करते हैं । वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं । जो शिवलिंग के समीप जानवर बांधकर पर्यटन के लिहाज अति महत्वपूर्ण स्थल को चारागाह बनाने में जुटे हैं। वह भी तब जब शिवलिंग के समीप पुरातत्व विभाग ने सौ मीटर के क्षेत्र को प्रतिबंधित कर रखा है।रास्तो इतने सकरे है कि बमुश्किल दो पहिया वाहन मन्दिर को जाता है । यह स्थान पांच कोसी में आता है।लखौरी ईटों से बनी बुनियाद शिवलिंग की प्राचीन महत्ता को प्रमाणित करती हैं।शिवलिंग लगभग पाँच फुट ऊपर लखौरी की ईंट पर विराजमान है।ईंटे कई वर्षों से नीचे से क्षतिग्रस्त हो चुकी है लेकिन ग्रामीणों ने कहा कि वह कई वर्षों से अपने दादा बाबा से सुनी कहानियों में इसी तरह देखते आये है ।शिवलिंग खुले धूप,बरसात आदि सहते हुए भी इसकी चमक जैसे लगता है आज ही विराजमान हुए है भोलेभंडारी । काफी वर्ष पहले पर्यटन विभाग ने इस स्थान पर बोर्ड लगाकर इसे सुरक्षित कर लिया था । वहीं पुरातत्व विभाग ने शिवलिंग के आसपास सौ मीटर के दायरे को प्रतिबंधित कर दिया । जिससे लोगों का आवागमन न हो सके। शिवरात्रि के दिन यहाँ भक्तों का समूह उमड़ पड़ता है। मंदिर में जलाभिषेक के बाद लोग दूर से ही शिवलिंग को प्रणाम करते हैं।ऐसे में कुछ लोग इस स्थान को पशुओं के चारागाह के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। तारो से घेरे गये बाउंड्री भी खस्ताहाल हाल है ।खासतौर से सुबह से शाम तक शिवलिंग के ईर्द-गिर्द बकरियां चरती नजर आती हैं। गांव के लोगों ने कई बार इस संबंध में अधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। शिवनगरी में बाबा की घोर उपेक्षा हो रही कि आज तक मन्दिर नही बन सका ।

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