राजाराम गुप्त

दूसरी काशी को इंतजार आज भी भगीरथ का 

   

क्षेत्र के पाँच विधायक होने के बावजूद विकास कार्यो में कोसो पिछड़ा

राजनीति की खाट पर बंधा पर विकास,बेरोजगारी खेल रही स्मार्टफोन पर ताश

रुद्रपुर देवरिया - रुद्रपुर जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है यह देवो की नगरी है इसके क्षेत्र के आस पास तमाम पुरातन मन्दिर व बाबा दुधेश्वर नाथ जिसका पदम् पुराण,स्कंद पुराण, शिवपुराण आदि में उल्लेख मिलता है जिसका वर्णन चीनी यात्री ह्वेनसांग,लार्ड कार्डइल ने अपनी पुस्तक में इस मंदिर के बारे में लिखा है ।यहाँ सतासी स्टेट का राजघराना चलता था ।पवित्र सावन महीने व महा शिवरात्रि पर्व पर तो आस पास व अन्य राज्यो के हजारों लाखो लोग आते है ।यह मंदिर दूसरी काशी के रूप में विख्यात है जहाँ भगवान स्वयं भूगर्भ से उत्पन्न है । जहाँ सबकी मुरादे पूरी होती है ।आज भी किले में चपटे व गोल ईटो की भरमार है सहनकोट किले की निशानी आज भी मौजूद है ।रुद्रपुर पुराना बाजार है यह सैकड़ो गांवो का मुख्य बाजार केंद्र है । यहाँ पर चीनी मिल, चमड़ा उघोग,दाल मिल ,नील फैक्टरी आदि तमाम उघोग थे पर समय के साथ सभी उघोग बन्द होते गये ।रुद्रपुर व क्षेत्र से  अनगिनत स्वतन्त्रता सेनानी देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिये  है ।पर प्रशासन व स्थानीय नेताओं की उदासीनता से यहाँ उघोग के साथ रेल लाईन भी ठंडे बस्ते में पड़ती गयी ।

उपनगर की आबादी करीब पैतालीस हजार है जल्द ही नगर पालिका बनने की ओर है।

पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रुद्रपुर में एक चुनावी रैली में कहा था कि रेल लाईन से जोड़ने के लिए पर सिर्फ वादों में रही ।जबकि रूद्रपुर के अगल बगल की टाऊन एरिया रेल लाइन से जुड़ चुकी है ।यहाँ सभी धर्मों के लोग शांति सदभावना के साथ रहते है । पर यहाँ जाम व ग्रामीण क्षेत्रो में हर साल विध्वंसकारी बाढ़ से हजारों,लाखों लोग प्रभावित रहते है । कितनी मशक्कत से लोग अपना आशियाना बनाते है पर बाढ़ का दश उनका मनोबल बुरी तरह तोड़ देता है ।आज भी रुद्रपुर का पश्चिमी क्षेत्र कछार क्षेत्र में गिना जाता है ।

रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के गायघाट,करहकोल,पांडे माझा राजघर,नरायनपुर, शीतल माझा, माझा नरायन आदि गांवों में बसने वाले करीब 50000 लोग बेघर हैं। कुछ बांधों और सड़कों पर एक दशक से ऊपर से शरण लिए हुए हैं तो कुछ ने जिला ही छोड़ दिया। अकेले रुद्रपुर क्षेत्र के 161 गांव हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इनमें 52 गांव राप्ती गोर्रा के दोआबा के और 64 गांव कछार क्षेत्र के हैं। कई गांवों का अस्तित्व समाप्त हो गया उनमें से कितने लोग भूमिहीन हो गए।जिनकी जमीन नदी के रास्ता बदलने के कारण दूसरे क्षेत्र में पडी वह विवादों में फंस गई है। मगर इतना बड़ा मुद्दा हर बार चुनाव में सिरे से गायब रहता है।

 जाम तो जमुनी चौराहे का साथी हो चुका है जहाँ से दोपहिया तक निकलना मुश्किल हो जाता है जिसमे फस कर लोग अपना कीमती समय व जहरीले धुँआ से अपना स्वास्थ भी खराब कर रहे है ।इसी चौराहे से होकर सरकारी हॉस्पिटल,नगर पंचायत कार्यालय, इंटर कालेज,पीजी कॉलेज, सब्जी मंडी,बैंक,मछली मंडी आदि जगहों पर इसी मार्ग से छात्र छात्राओं सहित आमजन जाते है।पूर्व विधायक ने इसी समस्या को देखते हुए शहर के बाहर ही रिंग रोड की घोषणा की थी ।

बथुआ नदी पर यह पुल बड़ा मुद्दा बताया जा रहा है।आजादी के बाद से बथुआ नदी पर पुल बनाने की मांग हो रही है।    खेती के सिलसिले में आने जाने की सुविधा मिलती। यह पुल बन जाय तो पच्चीसों गांव जुड़ जाएंगे और यह रुद्रपुर बाईपास का भी काम करेगा।इस पुल से बनने से नगर में जाम की समस्या पर लगाम लगेगी क्योकि बड़ी गाड़िया बाहर से निकल जायेगी।अक्सर लोग गोरखपुर, बड़हलगंज,बांसगांव,कौड़ीराम,असवनपार,गगहा, गजपुर,गोपालपुर आदि जगहों पर इसी मुख्य बाजार से ही जाते है पर इससे बनने से इसी पुल  से बाहर निकल जाएंगे जिससे समय व तेल की बचत होगी।

पर वह योजना ठंडे बस्ते में जंग खा रही है ।यहाँ पर तमाम सरकारी योजनाओं आयी पर उसका लाभ किसी नागरिको को नही मिल पाया जिन गलियों में पहले बड़ी गाड़िया निकल जाती थी आज छोटी गाड़ियां भी मुश्किल से निकल पाती है ।जमुनी चौराहे पर सड़क अतिक्रमण से हमेशा जाम की समस्या मुंह बाये खड़ी रहती है ।जाम की समस्या का विकल्प कई सालों से जनप्रतिनिधि नही खोज पाए।रुद्रपुर बसस्टेशन का तो बुरा हाल रहता है बरसात में घुटनो तक पानी भरा रहता है ।नवनिर्माण के लिए बजट तो बना लेकिन कब शुरू होगा अभी अंधकार में है।

बसों का आवागमन शाम होते ही ठप हो जाता है।कई मुख्य जगहों पर सरकारी बसों का संचलन बंद है।लोग प्राइवेट वाहन का सहारा लेकर किसी तरह अपने गंतव्य तक पहुचते है।सरकारी महिला अस्पताल की कमी दशकों से है।लोगो को मामूली इलाज के लिए भी इधर उधर भटकना पड़ता है।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दर्जनों गावो का भार अपने ऊपर लिए है पर यहां भी लोगो को जरूरी इलाज नही मिलता।जांच एक्सरे आदि कार्यो के लिए अन्य जगहों पर जाना होता है।कई वर्षों से बनकर खड़ा नवनिर्मित हॉस्पिटल अपने उद्घाटन के इंतजार में आंसू बहा रहा है।

आज भी दूसरी काशी रुद्रपुर चौमुखी विकास के इंतजार में है जिसमे सभी वर्गों का विकास व तरक्की हो।

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