श्रीमद्द भागवत कथा में बरसा भक्ति रस भक्त हुए भाव विभोर 
रुद्रपुर देवरिया - भगवान की लीलाएं अनन्त है नाम अनन्त है जो जिस नाम से पुकारे भगवान दौड़े चले आते है भक्तगण भक्ति भाव से उनका पूजन अर्चन करते है ।इसी क्रम में पश्चिमी तिवारी टोला रुद्रपुर में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन हुआ जिसमें श्रदालु भक्तजन भगवान की लीलाओं को भक्ति भाव से सुनते है ।



श्रीमद भागवत कथा के दौरान कृष्ण रूकमणी विवाह प्रसंग में श्रद्धालु झूम उठे। इस दौरान सजाई गई जीवंत झांकी ने मन मोह लिया। व्यासपीठ पर विराजित प. सुदामा गोविन्द दास (द्विवेदी प्रभु)ने कहा कि प्रभु की कृपा प्राप्त कर अनवरत साधना में लीन रहना ही मानव मात्र की चरम परिणति है।प.सुदामा व्यास ने आगे कहा कि  पूर्ण राग की उपासिका रूकमणी है। इस दौरान सुदामा चरित्र प्रसंग का वर्णन भी किया गया उन्होंने आगे कहा कि भगवान चाह के भूखे है यह श्रीमद् भागवत ग्रन्थ प्रेमाश्रुसक्ति नेत्र, गदगद कंठ, द्रवित चित्त एवं भाव समाधि निमग्न परम रसज्ञ श्रीशुकदेव जी के मुख से उद्गीत हुआ। सम्पूर्ण सिद्धांतो का निष्कर्ष यह ग्रन्थ जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है, भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है तथा भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भगवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। इस दौरान श्रीमद्द भागवत कथा में छेदीलाल गुप्त,रमेशचन्द गुप्त, ओमप्रकाश गुप्त(ओपी),सत्यप्रकाश गुप्त, रामकुमार,प्रणव,मनीष,शशांक, दिव्यांश आदि सैकड़ो लोग मौजूद रहे ।
सन्तोष शाह


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