सलेमपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के दो जिलों बलिया और देवरिया के कुछ हिस्सों से मिलाकर बनी है।
सलेमपुर को प्रदेश के सबसे पुराने तहसील हेडक्वार्टर के रूप में जाना जाता है।
ब्रिटिसकाल में तहसील के रूप में इसकी स्थापना 1939 में हुई थी। सलेमपुर के पास से छोटकी गंडक नदी गुजरती है। सलेमपुर का इतिहास काफी पुराना है। यह क्षेत्र मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से पहले गुप्त वंश और पाल शासकों के अधीन रहा था। घने जंगलों के कारण मुस्लिम आक्रमणकारी इस क्षेत्र में आक्रमण के लिए नहीं आ सके थे।सलेमपुर संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं।भाटपार रानी, सलेमपुर (अनुसूचित जाति), बेल्थरा रोड (अनुसूचित जाति), सिकंदरपुर और बासडीह है।देवरिया जिले में पड़ने वाले भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है।यहां से सपा विधायक आशुतोष उपाध्याय उर्फ बबलू वर्तमान में बिधायक है।वही सलेमपुर, सिकंदरपुर और बेल्थरा रोड विधानसभा सीट बीजेपी के पास है।बासडीह विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के पास है।यह लोकसभा सीट गठबंधन में बीएसपी के हिस्से आई है।बीएसपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को उम्मीदवार घोषित किया है। वह लखीमपुर खीरी जिले की निघासन विधानसभा सीट से 2002 में विधायक भी चुने गए थे। 2010 से 2016 तक विधान परिषद के सदस्य भी रहे।2010 में इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा भी मिला। वही कांग्रेस ने एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्र पर दांव लगाया है। श्री मिश्र देवरिया जनपद के बरहज थानाक्षेत्र के कसीला गांव निवासी है।श्री मिश्र भी किसी से कम नही है।वह काशी विश्वविद्यालय से छात्र जीवन मे वर्तमान में रेल राज्य मंत्री व संचार मंत्री स्वतंत्र प्रभार व गाजीपुर के बीजेपी सांसद मनोज सिन्हा जब अध्यक्ष हुए तो श्री मिश्र उपाध्यक्ष के पद पर रह चुके है।वह एक बार वाराणसी विधानसभा से बिधायक भी रह चुके है।। तो वही बीजेपी ने मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा पर ही दांव खेला है। रविन्द्र कुशवाहा के पिता स्व० हरिकेवल प्रसाद के पुत्र है। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां पर 51.50 फीसदी मतदान हुआ था. बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस समेत 13 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी ठोकी थी। जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी, बसपा और सपा के बीच रहा।बीजेपी के रविंद्र कुशवाहा ने 45.89 फीसदी वोट हासिल करते हुए 3,92,213 मत हासिल किए. उन्होंने बसपा के रवि शंकर सिंह पप्पू को 2,32,342 मतों से हराया। रवि शंकर को महज 1,59,871 मत मिले. समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर रही। रविंद्र कुशवाहा पिछले चुनाव में जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। उस वक्त मोदी लहर खूब चला हुआ था।ज्यादातर सीटों की तरह शुरुआती चुनावों में यहां कांग्रेस का कब्जा रहा। लेकिन 1984 के बाद से यहां कांग्रेस जीत के लिए संघर्ष कर रही है। सलेमपुर लोकसभा सीट पर पिछले 30 सालों में समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है। बीजेपी पिछली बार मोदी लहर में यह सीट निकालने में कामयाब रही थी। लेकिन इस बार सपा-बसपा एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में बदले समीकरण में बीजेपी के लिए यह सीट निकाल पाना आसान नहीं दिख रहा।आर्थिक रूप से सलेमपुर संसदीय सीट राज्य के पिछड़े क्षेत्रों में आता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक सलेमपुर तहसील की आबादी करीब 6 लाख (6,04,483) है। यहां की 80 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग के लोगों की है। 16 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के लोगों की है। जबकि चार फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है।धर्म के आधार पर देखा जाए तो हिंदुओं की आबादी 86.2 फीसदी है तो 13.5 फीसदी मुस्लिमों की आबादी रहती है।
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