खोरमा कन्हौली रुद्रपुर देवरिया(आज)क्षेत्र के खोरमा ग्राम स्थित हनुमान मंदिर में चल रहे शतचंडी महायज्ञ व सप्तदिवसीय हनुमान चालीसा के पांचवे दिन प्रयागराज से पधारी मानस कोकिला शाकम्बरी त्रिपाठी व कथा व्यास बल्लभाचार्य ने रामजन्म से वनवास व
कथा के माध्यम से उन्होंने भातृ प्रेम व सत्ता के प्रति समर्पण को बड़े ही रोचक ढंग से भरत प्रसंग से समझाया।अयोध्या का राज सिंहासन पाने के बाद भरत ने जिस तरह सत्ता के प्रति अमोह व्यक्त किया और जीवन का सच्चा सुख बड़े भाई के सानिध्य में ही बताया इससे प्रेम त्याग और समर्पण की पराकाष्ठा सिद्ध होती है।जब राम का बनवास हुआ तो भरत भाई शत्रुघ्न के साथ ननिहाल में थे पिता की मृत्यु का समाचार सुनने को मिलता है तो उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। पहला जीवन के अंतिम क्षणों में पिता की सेवा से वंचित रह जाना दूसरे जिन भाई के संरक्षण में अपार सुख की कामना रही वह वन चले गए और तीसरा राम के राज्याभिषेक के बजाय उनका राज्याभिषेक जिससे प्रजा का असंतोष परंतु इसके बावजूद भी भरत ने धैर्य नहीं छोड़ा व अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।भगवान राम का जन्म मानव कल्याण के लिए हुआ।उन्होंने रामराज की स्थापना की।
हनुमान कथा सुनने से हर व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग मिलता है। कथा में मुख्य यजमान यज्ञाचार्य शशिभूषण पाण्डेय, चंदन त्रिपाठी,जितेंद्र तिवारी, प्रमध त्रिपाठी,सुशील त्रिपाठी आदि लोग उपस्थित रहे।
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