सफ़र-ऐ -जिन्दगी में, बताने को कुछ नहीं /
दौर-ऐ-सियासत में,
बचाने को कुछ नहीं //
अंधेरे फरियाद करें तो,
किससे करें अब यहां /
उजाले के नाम    पर ,
जलाने को  कुछ  नहीं //
स्कुलों ने दिखाई है यहॉ ,
आईना इस कदर /
तालिम मिली है ऐसी,
पढने - पढाने को कुछ नहीं //
रौनक ऐ गुलिस्तॉ होती,
जिनके खूं पसीने से /
घर पर उनके चुल्हा,
जलाने को कुछ नहीं //
हवाओं में उड़ती रही हैं,
दसकों से रगींन गुब्बारे /
"मुफलिस "के गांव में बिछाने को कुछ नहीं //
    सफ़र-ऐ -जिन्दगी में, बताने को कुछ नहीं /
दौर-ऐ-सियासत में,
बचाने को कुछ नहीं //
अंधेरे फरियाद करें तो,
किससे करें अब यहां /
उजाले के नाम    पर ,
जलाने को  कुछ  नहीं //
स्कुलों ने दिखाई है यहॉ ,
आईना इस कदर /
तालिम मिली है ऐसी,
पढने - पढाने को कुछ नहीं //
रौनक ऐ गुलिस्तॉ होती,
जिनके खूं पसीने से /
घर पर उनके चुल्हा,
जलाने को कुछ नहीं //
हवाओं में उड़ती रही हैं,
दसकों से रगींन गुब्बारे /
"मुफलिस "के गांव में बिछाने को कुछ नहीं //
      सफ़र-ऐ -जिन्दगी में, बताने को कुछ नहीं /
दौर-ऐ-सियासत में,
बचाने को कुछ नहीं //
अंधेरे फरियाद करें तो,
किससे करें अब यहां /
उजाले के नाम    पर ,
जलाने को  कुछ  नहीं //
स्कुलों ने दिखाई है यहॉ ,
आईना इस कदर /
तालिम मिली है ऐसी,
पढने - पढाने को कुछ नहीं //
रौनक ऐ गुलिस्तॉ होती,
जिनके खूं पसीने से /
घर पर उनके चुल्हा,
जलाने को कुछ नहीं //
हवाओं में उड़ती रही हैं,
दसकों से रगींन गुब्बारे /
"मुफलिस "के गांव में बिछाने को कुछ नहीं //
      प्रेम कुमार "मुफलिस"रूद्रपुर देवरिया ! देवरिया !



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