सुन्दर विचार......बाबा नन्हे दास
*** वर्चस्व ***
प्रत्येक पायदान पर अपने को ही श्रेष्ठ सिद्ध करना उचित नहीं है '
विवेक युक्त सामंजस्य से सामने वाला भी श्रेष्ठ है '
यह भी मानना चाहिए !
*** अह्म ***
अपने अंदर सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय की भावना का प्रादुर्भाव करें '
यदि कहीं किसी परिस्थिति में बैठने को अग्रिम पंक्ति सर्वोच्च स्थान नहीं उपलब्ध होता तो इससे अपना महत्व कम नहीं आंकना चाहिए ,
हल्दी और बात समय पर अपना महत्व दर्शाती है !
अपने बाहुबल ' सौंदर्य ' धनबल को समाज उत्थान में प्रयोग करें ' न कि लोगों को वैमनस्य पनपाने में उलझें !
आज अपना शरीर ' मन ' व्यवसाय ' परिवार ' समाज तुष्टिकरण ' अह्म की वजह से हम मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो चुके हैं ' और ऊल जुलूल हरकत कर बैठते हैं ' जिसकी वजह से हम उपेक्षा हंसी मजाक के पात्र बन बैठे हैं !
सब चिंता कलह द्वेष से दूर हो जाइए '
सब अच्छे हैं ' सब सच्चे हैं '
इस संभावना संग मन की विचारधारा को परिवर्तित करने की आवश्यकता है !
और आसान तरीका है कि जो आपकी सोच विचारधारा संग भागी दार बन रहे हैं उनकी अच्छी बातों संग तालमेल बिठाने में लगिए '
विरोध करने वाले लोगों को न तवज्जो दीजिए ' न उनके विषय में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करिये ' यहां तक कि विरोधियों के नाम की चर्चा ही नहीं हो !
मानसिक शांति के लिए ' उन्नति के लिए ' इससे सुंदर कोई तरीका ही नहीं है !
🙏🏻
वैश्य उमाशंकर कशौधन
बाबा नन्हें दास
सुल्तानपुर


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